फल और सब्जियों को सूखना - प्रमुख विधियां की कोन कोन सी हैं

फल और सब्जियों को सूखना - प्रमुख विधियां की कोन कोन सी हैं
 फल और सब्जियों को सूखना

फलों तथा सब्जियों की तुड़ाई के तुरन्त बाद ही वह खराब होना शुरू हो जाती हैं। अतः इन्हें लम्बे समय तक सुरक्षित रखने के लिए प्राकृतिक एवं कृत्रिम विधियों द्वारा सुखाया जाता है। फलों तथा सब्जियों को सुखाने के बाद उन्हें हम काफी लंबे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं अथवा भंडारित कर सकते हैं। इन्हें हम वर्ष में कभी भी उपयोग में ला सकते हैं।

फलों को सुखाने की प्रमुख विधियां

फलों को चुनना (selection of fruits) -

इसके लिए अच्छे फल चुन लिए जाते हैं। फल ताजे होने चाहिए। फाइल ज्यादा दिन पुराने एवं सड़े नहीं होने चाहिए। इसके लिए ताजे फल उत्तम माने जाते हैं।

साफ एवं तैयार करना (washing and prepration) -

फलों को चलते हुए पानी से साफ कर लेते हैं। उसके बाद फलों के छिलके उतारकर एवं काटकर सुखाने के लिए तैयार कर लिए जाते हैं।

ब्लान्च करना एवं गंधक का धुंआ देना (blanching and sulphuring) -

सब्जियों को ब्लान्च किया जाता है, लेकिन फलों को सुखाने के पहले गंधक का धुंआ दिया जाता है। फलों को गंधक का धुंआ खास प्रकाश के बक्सों में बंद करके दिया जाता है। धुंआ देने के लिए उनको चारपाई पर फैलाकर ऊपर से चादर से ढक देते हैं तथा चारपाई के नीचे धुंआ करते हैं। 2.5 से 3 ग्राम गंधक प्रति किलो फल प्रयोग की जाती है तथा धुऐं को 30 से 60 मिनट तक देते हैं।

सुखाना (drying) -

कटे व सल्फर का धुंआ दिए गए फलों को सुखाने के उद्देश्य से जालियों पर फैला देते हैं तथा जालियां डिहाइड्रेटर में एक के ऊपर एक लगा दी जाती हैं और डिहाइड्रेटर के ढक्कन को बंद कर दिया जाता है। उसके पश्चात इनको बिजली तथा भट्टी या स्टोव से गर्म करते हैं। अधिकतर फलों को 140 फै. तापक्रम पर सुखाया जाता है‌।

फलों को इकट्ठा करना एवं संग्रह करना (collection and storage) -

सूखे हुए फलों को डिहाइड्रेटर से बाहर निकाल कर इकट्ठा कर लेते हैं। उसके बाद सूखे हुए फलों को सूखे स्थान पर व सूखे बर्तन में बंद करके एक जगह रख देते हैं।

सब्जियों को निम्न तरीकों द्वारा सुखाया जाता है -

  • गाँठ गोभी - सबसे पहले गाँठ गोभी के डण्ठल को निकालकर छील लीजिए। फिर छोटे-छोटे टुकड़े काट लीजिए, इसके बाद 5 ग्राम पोटैशियम मेटा-बाइ-सल्फाइड को 1 लीटर पानी में घोलिए। इस घोल में टुकड़ों को आधा घंटे के लिए रख दीजिए। इसके बाद टुकड़ों को पानी से धोकर धूप में सुखा लीजिए।
  • चने की भाजी - भाजी में से मोटे डण्डलों को अलग कर लीजिए। फिर भाजी को धूप में सुखा लीजिए। इस भाजी को किसी भी प्रकार के घोल में भिगोने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि भाजी को किसी भी घोल में भिगोने से अथवा पानी में धोने से आवश्यक लवण निकल जाते हैं, जो गुणकारी होते हैं।
  • पत्ता गोभी - पत्ता गोभी में बाहरी पत्तों को बीच के डण्ठल वाले भाग से अलग कर लीजिए। पत्तों के लंबे-लंबे टुकड़े काट लीजिए। इसके बाद 10 ग्राम सोडियम बाइकार्बोनेट या खाने का सोडा 1 लीटर पानी में घोल लीजिए। इस घोल में पत्तों को 2 मिनट तक उबालिए। उबालने के तुरंत बाद ही पत्तों को ठंडे पानी से धो लीजिए, इसके बाद धूप में सुखा लीजिए।
  • पुदीना - पुदीने को किसी भी प्रकार के घोल में डालने की आवश्यकता नहीं है। इसको अच्छी तरह से पानी में धोकर धूप में सुखा लीजिए।
  • पालक - पालक को पहले साफ पानी से धो लीजिए, फिर 5 मिनट तक खौलते हुए पानी में रखिए। इसके तुरंत बाद ही ठंडे पानी से धोकर धूप में सुखा लीजिए।
  • मेथी की भाजी - भाजी को पानी से अच्छी तरह धो लीजिए। फिर 20 ग्राम नमक को 1 लीटर पानी में घोलिए। इस बनाए हुए घोल में 1 मिनट तक उबालिए। इसके तुरन्त बाद ही ठंडे पानी से धोकर सुखा लीजिए।
  • आलू - अच्छी किस्म के बड़े-बड़े आलू लीजिए। आलू को छीलकर छोटे-छोटे तथा पतले टुकड़े ( चिप्स ) बनाइए। आलू को काटते समय टुकड़ों को 0.05% पोटैशियम मेटा-बाइसल्फाइट के घोल में रखते जाइए। इस घोल में टुकड़ों को 15 मिनट तक रहने दे। इसके बाद टुकड़ों को 5 मिनट तक उबालिए और फिर सुखा लीजिए।
  • गाजर - गाजर के छोटे-छोटे लम्बवत् टुकड़े काटिए। इसके पश्चात 26 ग्राम नमक को 1 लीटर पानी में लेकर घोल बनाइए। टुकड़ों को इस घोल में 3 मिनट तक उबालिए। इसके बाद टुकड़ों को तुरंत ही ठंडे पानी से धोकर सुखा लीजिए।
  • करेला - यदि आप चाहें तो छील लीजिए नहीं तो बिना छिले भी सुखा सकते हैं। फिर टुकड़े काटिए। इसके बाद पानी में 8 मिनट तक उबालकर तुरंत बाद ही ठंडे पानी से धोकर सुखा लीजिए।
  • टमाटर - अच्छी किस्म के मोटे गूदे वाले टमाटर लीजिए। खौलते पानी में टमाटरों को 1 मिनट रखकर ठंडे पानी में रख दीजिए। इसके बाद टमाटर के ऊपर का छिलका निकाल दीजिए। फिर टमाटर को चार भागों में काटकर सुखा दीजिए।
  • प्याज - प्याज के बाहर का छिलका निकाल लीजिए। जड़ की तरफ का हिस्सा काटकर लंबे-लंबे आकार के टुकड़े काट लीजिए। 50 ग्राम नमक का 1 लीटर पानी में घोल बनाकर इस घोल में टुकड़ों को 10 मिनट तक रखिए। इसके तुरंत बाद ही टुकड़ों को पानी से धोकर सुखा लीजिए।
  • फूल गोभी - डण्ठल और पत्तियों को अलग-अलग करके छोटे-छोटे टुकड़े बना लीजिए। फिर 5 मिनट खौलते पानी में टुकड़ों को रखकर तुरंत ही ठंडे पानी से धो लीजिए। इसके बाद 5 ग्राम पोटैशियम मेटा-बाइसल्फाइट 1 लीटर पानी में घोलकर घोल बनाइए। इस घोल में टुकड़ों को 1 घंटे तक रखिए। फिर टुकड़ों को पानी से धोकर सुखा लीजिए।
  • बैंगन - बैंगन के लम्बे आकार के मोटे टुकड़े काट लें। फिर टुकड़ों को 5 मिनट खौलते पानी में रखकर, ठण्डे पानी से धो लीजिए। 10 ग्राम पोटैशियम मेटा-बाइसल्फाइट का 1 लीटर पानी में घोल बनाइए। फिर इन टुकड़ों को इस घोल में धोकर सुखा लीजिए।
  • भिण्डी - भिण्डी का डंठल और ऊपर की नोक काट लीजिए। फिर भिण्डी को चार भागों में काट लीजिए। इन टुकड़ों को 5 मिनट खौलते हुए पानी में रखकर तुरंत ही ठंडे पानी से धो लीजिए। फिर सुखा लीजिए।
  • मटर - मटर को छीलकर 2 मिनट तक उबलते हुए पानी में रखिए। तुरंत ही ठंडे पानी में रखकर निकाल लीजिए। फिर धूप में सुखा लीजिए।
  • शलजम - सबसे पहले शलजम का डण्ठल निकाल लीजिए। फिर छीलकर टुकड़े काट लीजिए। फिर टुकड़ों को 3 मिनट तक उबालकर तुरंत ही ठंडे पानी में रख दीजिए। 5 ग्राम पोटैशियम मेटा-बाइसल्फाइट का 1 लीटर पानी में घोल बनाइए। फिर इस घोल में टुकड़ों को 1 घंटे तक पड़ा रहने दे। इसके बाद टुकड़ों को सुखा लीजिए।

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