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fruit and vegetables preservation |
फल एवं सब्जि के परिरक्षण के प्रमुख सिद्धांत क्या है?
स्वस्थ बने रहने के लिए जिन पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, वे सभी पोषक तत्व फल एवं सब्जियों में पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। इसलिए स्वास्थ्य की रक्षा के लिए फल एवं सब्जियों का निरंतर सेवन करना जरूरी होता है।अधिकांश फल एवं सब्जियां मौसमी होती हैं तथा मौसम बीत जाने पर इनका मिलना असम्भव हो जाता है। लेकिन परीक्षण विधियों को अपनाकर इन्हें वर्ष भर या इससे भी अधिक समय के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है।
फल तथा सब्जियों को समयानुसार सुरक्षित रखने के लिए मुख्य रूप से दो सिद्धांतों का उपयोग किया जाता है जो निम्नानुसार हैं -
- अस्थायी/अल्पकालीन परिरक्षण (Temporary Preservation)
- स्थायी/ दीर्घकालीन परिरक्षण (Permanent Preservation)
अस्थायी/अल्पकालीन परिरक्षण (Temporary Preservation) -
इस विधि के अनुसार सब्जी एवं फलों को केवल सीमित समय के लिए ही संरक्षित किया जा सकता है। इसके लिए निम्नलिखित तरीके अपनाए जा सकते हैं -- सफाई (Cleaning) - फलों तथा सब्जियों को प्राप्त करने के पश्चात सड़े-गले तथा चोट खाये हुए दागी फलों एवं सब्जियों को अलग-अलग कर देते हैं। स्वच्छ फलों को सावधानीपूर्वक साफ पेटियों अथवा टोकरियों में भरते हैं। इस प्रकार फलों को अपेक्षाकृत अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
- कम तापक्रम (Low temperature) - कम तापक्रम पर बैक्टीरिया शिथिल हो जाते हैं, अतः फलों तथा सब्जियों को ठीक अवस्था में अधिक समय तक रखा जा सकता है। बड़े पैमाने पर शीतगृहों में तथा घरेलू उपयोग के लिए फल और सब्जियों को फ्रिज में रखा जाता है।
- अधिक तापक्रम (High temperature) - सामान्य से अधिक तापक्रम करके बैक्टीरियाओं की क्रियाशीलता कम की जाती है। इस प्रकार खटास रहित फलों को अधिक ताप देकर अल्पकालीन परिरक्षण कर सकते हैं, जबकि खटास वाले फलों का स्थायी परिरक्षण किया जा सकता है।
- नमी तथा हवा से बचाव रखना (safety from air and moisture) - फलों को ठंडे शुष्क एवं नमी रहित वातावरण में रखने पर जीवाणुओं का अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है। इस प्रकार सूखे फलों तथा सब्जियों को वायु रहित डिब्बों में काफी दिनों तक रखा जा सकता है।
- हल्के कीटाणुनाशक पदार्थों का प्रयोग ( use of light preservation ) - फलों तथा सब्जियों को सुरक्षित रखने के लिए चीनी, सिरका, नमक, तेल व सोडियम बेंजोएट का प्रयोग लाभकारी रहता है। इससे फलों एवं सब्जियों को कम समय के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है।
स्थायी/ दीर्घकालीन परिरक्षण (Permanent Preservation) -
इस विधि में सब्जी एवं फलों को अधिक दिनों के लिए परिरक्षण करते हैं। संरक्षित खाद्य पदार्थों में धीमी गति से रासायनिक परिवर्तन होते हैं। इसके अंतर्गत निम्नलिखित विधियों को अपनाया जाता है -1. फलों एवं सब्जियों को सुखाना/ निर्जलीकरण (Dehydration of fruit and vegetable) -
पानी अथवा नमी की उपस्थिति में बैक्टीरिया तेजी से बढ़ते हैं तथा पदार्थों को खराब कर देते हैं। अतः फल तथा सब्जियों के पानी को कम कर देने से उन्हें अपेक्षाकृत अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इसके लिए फल तथा सब्जियों को धूप अथवा मशीनों द्वारा सुखाया जाता है। अंजीर, मुनक्का, किशमिश, छुहारे इसी विधि से सुखाए जाते हैं। मशीनों द्वारा सुखाने पर उनके रंग, गंध, व स्वाद में केवल मामूली परिवर्तन हो सकता है। धूप में सुखाना सबसे प्राचीन विधि है। गांवों में पोदीना, मेथी, चने का साग, ग्वार की फली तथा गोभी धूप में ही सुखायी जाती है। सब्जियों में 7-10% तथा फलों में 20-22% से अधिक नमी नहीं होनी चाहिए।2. चीनी द्वारा (by sugar) -
खाद्य पदार्थों को संरक्षित करने के लिए चीनी का प्रयोग बहुत पहले से ही होता चला आ रहा है। चीनी के गाढ़े घोल के कारण विपरीत परासरण होता है और बैक्टीरिया जीवित नहीं रह पाते हैं। इसके लिए लगभग 2/3 (66%) भाग से अधिक चीनी प्रयोग की जाती है। मुरब्बा, जैम, जैली आदि खाद्य पदार्थ चीनी के द्वारा ही अधिक समय तक सुरक्षित रखे जा सकते हैं।3. नमक द्वारा ( by salt ) -
नमक बैक्टीरियाओं के लिए प्राणघातक होता है। अतः खाद्य पदार्थों में 15% या इससे अधिक नमक मिलाकर फलों तथा सब्जियों का स्थायी परिरक्षण किया जा सकता है। नमक के द्वारा विभिन्न प्रकार के अचार काफी लंबे समय तक संरक्षित किए जा सकते हैं।
प्रायः निम्नलिखित रासायनिक परिरक्षण के लिए प्रयोग करते हैं -
ये फरमेण्टेशन प्राय: निम्नलिखित प्रकार के होते हैं -
4. अधिक ताप द्वारा कीटाणुनाशक (Sterilization by high temperature) -
खाद्य पदार्थों को अधिक ताप देकर जीवाणुओं को नष्ट किया जाता है, जिससे ऐसे पदार्थ अधिक समय तक सुरक्षित रखे जा सकते हैं, लेकिन इस विधि के प्रयोग करने से सब्जियों का स्वाद, रंग तथा विटामिन्स नष्ट हो जाते हैं।6. रासायनिक पदार्थों द्वारा (by chemical materials) -
सब्जियों तथा फलों के स्थायी परिरक्षण के लिए रासायनिक पदार्थों का उपयोग भी किया जा सकता है, लेकिन इनका उपयोग केवल सीमित मात्रा में ही करना चाहिए जिससे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव ना पड़े।प्रायः निम्नलिखित रासायनिक परिरक्षण के लिए प्रयोग करते हैं -
- सोडियम बेंजोएट (sodium benzoate) - इसको पानी में घोलने से बेन्जोइक अम्ल बनता है जो बैक्टीरियाओं की क्रियाशीलता को समाप्त कर देता है। खट्टे खाद्य पदार्थों को संरक्षित करने के लिए इसका प्रयोग अधिक लाभकारी होता है।
- सोडियम मेटा-बाइ-सल्फेट अथवा पोटैशियम मेटा-बाइ-सल्फेट (sodium metabisulphite or potassium metabisulphite) - इन रसायनों को पानी में घोलने पर सल्फर-डाइऑक्साइड गैस बनती है, जो बैक्टीरियाओं को अधिक प्रभावित करती है। इन रसायनों का प्रयोग भी खट्टे पदार्थों के स्थायी परिरक्षण के लिए करते हैं।
- ऐसीटिक अम्ल द्वारा ( by acetic acid ) - इसका उपयोग भी फलों एवं सब्जियों के स्थायी परिरक्षण के लिए किया जाता है। खाद्य पदार्थों में 2% ऐसीटिक अम्ल मिलाया जाता है। सिरका भी इस कार्य के लिए प्रयोग किया जाता है क्योंकि इसमें 5% तक ऐसीटिक अम्ल होता है। साधारणतः अचार व चटनी के लिए इसका प्रयोग करते हैं।
- किण्वन द्वारा ( by fermentation ) - बैक्टीरिया तथा एन्जाइम के द्वारा खाद्य पदार्थों में उपस्थित कार्बोहाइड्रेट का विदारण ( किण्वीकरण ) होता है तथा इस क्रिया से प्राप्त पदार्थों के द्वारा खाद्य पदार्थों का स्थायी परिरक्षण हो जाता है।
ये फरमेण्टेशन प्राय: निम्नलिखित प्रकार के होते हैं -
- एल्कोहॉलिक फरमेण्टेशन ( Alcoholic fermentation ) - जब यीस्ट ( खामीर ) द्वारा कार्बोहाइड्रेट का फरमेण्टेशन होता है तो एल्कोहॉल और कार्बन-डाइऑक्साइड गैस बनती है। एल्कोहॉल की उपस्थिति में जीवाणुओं की वृद्धि रुक जाती है। 18% या अधिक एल्कोहॉल की मात्रा होने पर खाद्य पदार्थों के जीवाणु नष्ट हो जाते हैं।
- ऐसीटिक फरमेण्टेशन (Acetic fermentation) - जब एल्कोहॉल पर ऐसीटिक एसिड जीवाणुओं की क्रिया होती है तो ऐसीटिक अम्ल बनता है जो खाद्य पदार्थों के स्थायी परिरक्षण के लिए सक्षम है।
- लैक्टिक फरमेण्टेशन (Lactic fermentation) - लैक्टिक अम्ल जीवाणुओं के द्वारा खाद्य पदार्थों का कार्बोहाइड्रेट, लैक्टिक अम्ल में परिवर्तित हो जाता है। दूध से दही इसी अम्ल की सहायता से ही बनता है। अनेक प्रकार के अचार भी इसी अम्ल से संरक्षित किए जाते हैं।
फल तथा सब्जीयों के परिरक्षण करने में कौन-कौन सी समस्याओं आती हैं?
फल तथा सब्जी परिरक्षण प्रौद्योगिकी के सामने सबसे बड़ी समस्या फलों तथा सब्जियों की तुड़ाई के बाद उचित ज्ञान के अभाव के कारण आती है। फल तथा सब्जी परिरक्षण उद्योगों को निम्नलिखित समस्याओं से संघर्ष करना पड़ता है -
1. तुड़ाई व परिपक्व से संबंधित समस्याएँ -
- अधपके फलों को तोड़ना।
- फलों में उपयुक्त परिपक्वन में कमी।
- फलों के विकास एवं परिपक्वन में भिन्नता।
- उपयुक्त वातावरण न होने के कारण फल व टमाटर के पकने में कठिनाइयां।
- टमाटर में एक समान रंग का विकास ना होना।
- फलों की विभिन्न किस्मों की तुड़ाई हेतु परिपक्वन संबंधी उचित मानक का अभाव।
- विपणन संबंधी ( क्रय और विक्रय अनुरोध ) प्रभाव, जिससे उत्पादक फल की परिपक्वता की परवाह किए बिना ही उन्हें भी तोड़कर बाजार में बेच देता है।
2. कच्चे माल से संबंधित समस्याएं -
- वांछित गुणवत्ता वाले फलों की कमी।
- डिब्बा बंद करने हेतु उचित किस्म के फलों की कमी।
- फलों के आकार एक समान ना होना।
- कच्चे फल।
- स्थानीय मंडी में उपलब्ध टमाटरों में उचित रंग का न होना और घुलनशील ठोस पदार्थ की मात्रा का कम होना।
- अनानास में अनुकूल आमाप का न होना, जिससे व्यर्थ पदार्थ का अधिक निकलना और अधिक अम्लता (2%) होना।
- अनानास का कम या अधिक पका हुआ होना।
- आम में स्पंज के समान ऊतकों का होना।
- आम का स्टोन वीविल (गुठली में घुन) द्वारा ग्रस्त होना।
3. परिवहन और भंडारण से संबंधित समस्याएं -
- लंबी दूरी के गमन के दौरान क्षति।
- उपयुक्त परिवहन का अभाव (परिवहन का अन्दर से न तो उपयुक्त हवादार होना और न ही तापमान व अपेक्षिक आर्द्रता पर नियंत्रण होना)।
- परिवहन सुविधा में कमी, विशेषकर फलों के मौसम में।
- कच्चे माल की मौसमी प्रकृति के कारण भंडारण में कठिनाइयां (शीत भंडार ग्रह की कमी, यदि उपलब्ध है तो बहुत ऊंची कीमत पर) ।
4. विपणन और आर्थिकी से संबंधित समस्याएं -
- एक बहुत बड़ी संख्या में मध्यस्थ लोग विपणन सेवा में संलग्न रहते हैं, परंतु ये कच्चे माल की कीमत को अधिक बढ़ा देते हैं।
- कच्चे माल की परिपक्वता और कीमत पर उचित नियंत्रण का न होना।
- उत्पादक और संसाधनों को उचित आर्थिक सहायता का अभाव।
5. तकनीकी से संबंधित समस्याएं -
- जैम की बोतलों को सील बंद करने के बाद हवा के बुलबुले।
- कृत्रिम रंग व सुवास की एक समानता में कमी।
- नारंगी स्क्वाश में भंडारण के दौरान अपवर्णता।
- नारंगी स्क्वाश में गूदा का अलग हो जाना।
- टमाटर कैचप में " ब्लैक नेक "
- डिब्बाबंद पपीता में संक्षारण।
- डिब्बाबंद आम ( तोतापरी ) के गूदे का काला होना।
- टोमेटो प्युरी की शीघ्र खराब होना।
6. नीति से संबंधित समस्याएं -
- कभी-कभी सरकारी नीतियां कृषकों तथा संसाधकों को प्रभावित करती हैं।
- फल तथा फल पदार्थों के खराब होने के कारण ( Causes of decay of fruits and fruits products )
भारत में परिरक्षित फलों तथा सब्जियों के व्यापार का क्या भविष्य है?
भारत में फल परिरक्षण का कार्य ज्यादा पहले से नहीं किया जा रहा है, लेकिन अब धीरे-धीरे होने लगा है। भविष्य में आशा की जा सकती है कि यह उद्योग बहुत तेजी से आगे बढ़ेगा जिसके निम्नलिखित कारण है -
और यदि आवागमन की सुविधाएं वहां पर उपलब्ध भी है तो अत्यंत महंगी है। इसी कारण यदि फलों का वहीं पर परिरक्षण कर दिया जाए तो फल उत्पादकों तथा उपभोक्ताओं दोनों को ही लाभ मिल सकेगा इसके साथ ही उपभोक्ताओं को पूरे वर्ष भर फल आसानी से प्राप्त होते रहेंगे।
- भारत में अलग-अलग प्रकार के फल कम कीमतों में आसानी से प्राप्त हो जाते हैं।
- परिरक्षित फलों एवं सब्जियों के भिन्न-भिन्न पदार्थों की होटलों, अस्पतालों व अमीर लोगों को अधिक मात्रा में आवश्यकता है। इसलिए फलों को उनके मौसम में परिरक्षित करके अत्यधिक लाभ आसानी उठाया जा सकता है।
- ताजे फलों और सब्जियों से निर्मित किए गए पदार्थों की विदेशों में अत्याधिक मांग रहती है। इसलिए इन पदार्थों को विदेशों में भेजने से विदेशी मुद्रा अर्जित की जा सकती है। इसी कारण इस उद्योग का भविष् अत्यधिक उज्जवल है।
- फल एवं सब्जियों का परिरक्षण का कार्य लघु उद्योग के रूप में आसानी से अपनाया जा सकता है। इसके लिए राज्य सरकारें प्रशिक्षण, धन तकनीकी सहायता से विशेष सुविधायें उपलब्ध करा रही है।
- केंद्रीय सरकार व राज्य सरकार फल एवं सब्जियों के परिरक्षण के लिए प्रशिक्षण सुविधाएं प्रदान करा रही हैं जिसके अतिरिक्त सामुदायिक डिब्बा बन्दी केंद्रों, फल परिरक्षण संस्थानों तथा अन्य सुविधायें उपलब्ध करा रही हैं, ताकि बेरोजगार लोगों को रोजगार प्राप्त हो सके।
- उत्तरी पहाड़ियों की समशीतोष्ण जलवायु में अधिक फल उत्पन्न होते हैं तथा उन्हें बाजार में भेजने पर उनकी कीमत बहुत कम हो जाती है। आवागमन के साधन उपलब्ध न होने के कारण उनकी काफी मात्रा वहीं पर खराब हो जाती है।
और यदि आवागमन की सुविधाएं वहां पर उपलब्ध भी है तो अत्यंत महंगी है। इसी कारण यदि फलों का वहीं पर परिरक्षण कर दिया जाए तो फल उत्पादकों तथा उपभोक्ताओं दोनों को ही लाभ मिल सकेगा इसके साथ ही उपभोक्ताओं को पूरे वर्ष भर फल आसानी से प्राप्त होते रहेंगे।
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