कैसे करें पशुओं के लिए एक अच्छे चारागाह की व्यवस्था है

कैसे करें पशुओं के लिए एक अच्छे चारागाह की व्यवस्था है
कैसे करें पशुओं के लिए एक अच्छे चारागाह की व्यवस्था है


पशुओं के लिए चारागाह की व्यवस्था कैसे करें?

पशु जीव की उत्पत्ति से ही, उनके चारे के लिए चारागाहों को प्राथमिकता दी गई है। पशुओं को चारागाहों पर चराकर पालना पशु-उत्पादन का सर्वश्रेष्ठ ढंग है। यह सर्वविदित है कि दुधारू पशुओं को चारागाहों पर चराकर एवं उनको थोड़ा पौष्टिक मिश्रण देकर, डेयरी उद्योग को बहुत ही लाभदायक व्यवसाय बनाया जा सकता है। हरे पौधों की पत्तियों में कुछ ऐसे पौष्टिक एवं आवश्यक तत्व होते हैं, जो पशुओं को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं।

जैसे-जैसे जनसंख्या की वृद्धि होती है, भूमि पर अधिक दबाव पड़ता है क्योंकि बड़ी हुई जनसंख्या को रहने के लिए स्थान तथा जीविका के लिए खेती चाहिए। अतः चारागाहों कि दिन-प्रतिदिन कमी होकर, दूध, मांस तथा हड्डी उत्पादन का मूल्य खरीदे हुये चारे खिलाने से बढ़ता चला जा रहा है, जो आर्थिक दृष्टिकोण से सर्वथा अनुचित है।

एक मिश्रित चारागाह पशुओं के लिए सर्वोत्तम एवं सस्ता चारा प्रदान करता है। वृद्धि की प्रारंभिक अवस्था में चारागाह की घासों में पौष्टिक तत्व, विशेषतया प्रोटीन काफी मात्रा में होती है। इस समय इस चारे में रेशे की मात्रा बहुत कम होने के कारण, पशुओं के लिए अति उत्तम समझा जाता है। इन घासों में कैल्शियम, फाॅस्फोरस की मात्रा भी काफी अच्छी तथा समुचित अनुपात में होती है। इसके अतिरिक्त इनमें विटामिन और मुख्य रूप से कैरोटिन की मात्रा बहुत अधिक होती है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि, चारागाहों से हमारे पशुओं को लगभग सभी आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त होते हैं और आर्थिक दृष्टिकोण से पशुओं के सुप्रबन्ध तथा वृद्धि व उत्पादन हेतु उनको चारागाहों पर चराना नितान्त आवश्यक है। अतः चारागाह पशुओं के आधार स्तंभ है। चारागाहों से ही पूरे विश्व में सबसे सस्ता चारा पशुओं को प्राप्त हो सकता है। ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, डेन्मार्क तथा नीदरलैण्ड इसके विशेष उदाहरण है।

एक अच्छे चारागाह में क्या क्या गुण होने चाहिए?

कोई भी बंजर भूमि जिसमें जंगली घासें उग आती हैं, अच्छा चारागाह नहीं बनाती। हमारे देश में अच्छे चारागाह नहीं है। खेती करने के अविकसित ढंग, कम भूमि की उपलब्धता, जनता की दरिद्रता तथा समुचित सिंचाई के साधनों का अभाव इत्यादि चारागाहों के पूर्ण विकास न होने के कुछ आवश्यक कारण है। 

एक अच्छे चारागाह में निम्नलिखित गुण वांछनीय है -

  • चारागाह पशुओं के निवास स्थान से बहुत अधिक दूरी पर न होकर, डेरी फार्म से एक निजी मार्ग द्वारा संबंधित होना चाहिए, जहां पशुओं को आने-जाने की पूर्ण स्वतंत्रता हो।
  • चरागाह की भूमि काफी ठोस होनी चाहिए, जिससे वर्षा के पानी एवं चरते समय पशुओं के गुर्गों से, इसमें गर्त न पड़ जाए। इसका धरातल भी समतल होना चाहिए, ताकि सिंचाई और बरसात के समय इसमें पानी एक स्थान पर ना रुक पाये।
  • चारागाह के चारों ओर कांटेदार तार खिंचा होना चाहिए जिससे जंगली पशु इसमें प्रवेश न कर पाएं।
  • चारागाह पर जो घास बोई जाती हैं, वे काफी पाचक, पौष्टिक, शीघ्र वृद्धि करने वाली व स्वादिष्ट होनी चाहिए। अधिकतर फलीदार घासें अथवा फलीदार एवं बेफलीदार का मिश्रण बोना चाहिए।
  • चरागाह की भूमि दूषित एवं बेकार की घासों से रिक्त होनी चाहिए। 
  • चारागाह की सिंचाई करने के लिए वहां पर कुआं, ट्यूबवेल आदि की व्यवस्था होनी चाहिए।
  • चारागाह की भूमि पर गर्मी के दिनों में पशुओं को सूर्य के ताप से बचाने के लिए छायादार वृक्ष होने चाहिए।
  • पशुओं को पीने के लिए स्वच्छ पानी का भी समुचित प्रबंध होना चाहिए।


पशुओं के लिए चारागाहों के प्रकार

मुख्य तौर पर चारागाह दो प्रकार के होते हैं -

  1. प्राकृतिक चारागाह
  2. पोषित या कृमित चारागाह 
  3. स्थायी चारागाह
  4. अस्थायी चारागाह
  5. वार्षिक चारागाह

  • प्राकृतिक चारागाह - जंगली मैदान, जिनमें प्राकृतिक रूप से उगी हुई घासें पशुओं को चराई जाती है, प्राकृतिक चारागाह कहलाते हैं।

  • पोषित या कृमित चारागाह - जुताई करके ऐच्छिक घासें बोये हुए मैदान पोषित चारागाह कहलाते हैं। हमारे देश में ऐसे चारागाह बहुधा राजकीय फार्मो पर ही पाये जाते हैं। 
  • स्थायी चारागाह - यह वे चारागाह हैं, जिन पर स्वयं उगने वाले वार्षिक पौधे उगाए जाते हैं। इनको कभी-कभी जोत भी दिया जाता है। वर्षों तक यह पशुओं को चराने के काम आते हैं। हमारे देश में वे क्षेत्र, जो खेती के अयोग्य हैं, स्थायी चारागाह के रूप में पशुओं को चराने के लिए प्रयोग होते हैं। ऐसे चारागाहों पर फॉस्फेट इत्यादि छिडक कर उनका विकास किया जाता है।
  • अस्थायी चारागाह - फसल को काटने के बाद भूमि कुछ समय के लिए खाली पड़ी रहती है। अतः इस पर उगी घासें, जब तक की भूमि दूसरी फसल की बुवाई के लिए जोती नहीं जाती, अस्थायी चारागाह के रूप में पशुओं को चराने के काम आती है।
  • वार्षिक चारागाह - ऐसे चारागाहों के अंतर्गत, खरीफ की फसल में कुछ भूमि चरने वाली घासों से बो दी जाती हैं और यह एक वर्ष के लिए पशुओं को चराने के हेतु छोड़ दी जाती हैं। दूसरी आने वाली खरीफ की फसल में इस भूमि को अन्य फसलें बोने के लिए जोत दिया जाता है। ऐसे चारागाहों से भूमि को कुछ आराम भी मिलता है और साथ ही चरते समय पशुओं के मल-मूत्र से खाद लगकर उसकी उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है।

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