फल परिरक्षण (Fruit Preservation) - फल परिरक्षण क्या हैं इसकी उपयोगिता एवं महत्व लिखिए

फल परिरक्षण (Fruit Preservation) - फल परिरक्षण क्या हैं इसकी उपयोगिता एवं महत्व लिखिए
फल परिरक्षण (Fruit Preservation) - फल परिरक्षण क्या हैं 


सब्जी या फलों को भौतिक अथवा रासायनिक विधियों द्वारा अपेक्षाकृत अधिक समय तक इस प्रकार सुरक्षित रखना ताकि उसके गुणों में कोई कमी ना आये, फल परिरक्षण कहलाता है।

फल परिरक्षण की उपयोगिता एवं महत्व | utility and importance


भारत में फल परिरक्षण शताब्दियों पूर्व से ही आचार, मुरब्बा आदि के रूप में होता चला आ रहा है,लेकिन इसका वैज्ञानिक विकास फल पदार्थ अनुसंधान, प्रयोगशाला की स्थापना 1942 से प्रारंभ हुआ।

आज के समय में अनेक बड़े शहरों कोलकाता, मुंबई, दिल्ली, नागपुर, श्रीनगर आदि में अनेक फल संरक्षण फैक्ट्रियां हैं,जिनमें आवश्यकता से अधिक उपलब्ध फलों को पैकिंग करके विभिन्न क्षेत्रों में भेजा जाता है, जहां ये पैदा नहीं होते हैं।

फलों से बने हुए पदार्थों को ऐसे मौसम में प्रयोग कर सकते हैं जब इन फलों का मौसम नहीं होता है। फलों से बने हुए अचार, मुरब्बे को वर्ष भर प्रयोग किया जा सकता है।

फल परिरक्षण के महत्व | Importance of fruit preservation


फल परिरक्षण के महत्व निम्नलिखित हैं -

  • फलों से बने हुए पदार्थों को हम ऐसे मौसम में भी प्रयोग कर सकते हैं, जब इन फलों का मौसम भी नहीं होता है।
  • फल संरक्षण उद्योगों से अनेक बेरोजगार लोगों को रोजगार मिलता है।
  • स्वादिष्ट व पौष्टिक फल हमें वर्ष भर प्राप्त होते रहते हैं।
  • फलों को जल्दी खराब होने से बचाने में फल परिरक्षण का विशेष महत्व है।
  • फल संरक्षण विधि अपनाने से किसानों की आय में वृद्धि होती है। क्योंकि इससे फल खराब नहीं होते हैं जिसके कारण पूरे फल बाजार में आसानी से बिक जाते हैं।
  • इससे फलों का भाव स्थिर किया जा सकता है। जिसके कारण बाजार में हमें अच्छे भाव प्राप्त हो जाते हैं।
  • संरक्षित फल पदार्थों का विदेशों में व्यापार करके विदेशी मुद्रा प्राप्त की जा सकती है। इसमें फल परिरक्षण का विशेष महत्व है।
  • संरक्षित फल पदार्थों को भोजन में शामिल करके संतुलित आहार के रूप में लेने में फल परिरक्षण का विशेष महत्व है।


फल परिरक्षण से होने वाले लाभ | Advantage of fruit preservation

  • जिन स्थानों पर फल पैदा नहीं होते हैं, वहां फलों को विभिन्न रूपों में संरक्षित करके भेज सकते हैं।
  • संरक्षित फल पदार्थ कम स्थान घेरते हैं, अतः आसानी से कम खर्च में इनको विभिन्न क्षेत्रों में भेजा जा सकता है।
  • संरक्षित फल पदार्थों को उस समय भी प्रयोग कर सकते हैं, जब उनके फल मौसम न रहने के कारण बाजार में नहीं मिलते हैं।
  • बाजार में जब फलों की अधिकता होती है उस समय कम दामों में खरीदकर एवं संरक्षित कर बेमौसम में अधिक लाभ कमाया जा सकता है।
  • फल संरक्षण उद्योग से अनेक लोगों को रोजगार मिलता है।
  • फल संरक्षण उद्योग से संबंधित अन्य उद्योगों को बढ़ावा मिलता है। जैसे - टिन डिब्बा उद्योग, कांच की बोतल उद्योग, प्लास्टिक उद्योग आदि।
  • प्राकृतिक विपदा सूखा, बाढ़, भूकंप एवं युद्ध के समय फल संरक्षित पदार्थों को हेलीकॉप्टर के द्वारा सुगमता से दुर्लभ स्थानों पर पहुंचाया जा सकता है।
  • फल एवं सब्जियों का संरक्षण करके उनके भाव स्थर किए जा सकते हैं।
  • जो फल खाने योग्य नहीं होते हैं, उनका प्रयोग चटनी, जैम, जेली आदि बनाने मैं किया जा सकता है।
  • स्वादिष्ट व पौष्टिक फल वर्ष भर मिलते रहते हैं।
  • फल संरक्षण से किसानों की आय में वृद्धि होती है।
  • फल संरक्षण से फलों को खराब होने से बचाया जा सकता है।
  • संरक्षित पदार्थों का विदेशों में निर्यात करके विदेशी मुद्रा प्राप्त की जा सकती है
  • संरक्षित फल पदार्थों को भोजन में शामिल कर संतुलित आहार लिया जा सकता है।
  • फल संरक्षण से किसानों की आय में वृद्धि होती है, जिससे फल उत्पादन में किसानों की रुचि बनी रहती है।


फल तथा सब्जी परिरक्षण की विधियां | methods of fruit and vegetable preservation


परिरक्षण के विभिन्न सिद्धांतों के अनुसार फल एवं सब्जी के परिरक्षण की प्रमुख विधियां निम्नलिखित हैं -

  1. चीनी द्वारा परिरक्षण
  2. नमक द्वारा परिरक्षण
  3. तेल एवं मसालों द्वारा परिरक्षण
  4. अम्ल द्वारा परिरक्षण
  5. किण्वन
  6. कार्बोनेशन
  7. पूर्तिरोधन
  8. सान्द्रीकरण
  9. निर्जीवीकरण एवं पाश्चुरीकरण
  10. हिमीकरण एवं शीत संग्रहण
  11. निर्जलीकरण एवं सुखाना
  12. डिब्बा बंदी एवं बोतलों में भरना

फल परिरक्षण के लिए फलों एवं सब्जियों को सूखना -


फल तथा सब्जियों का सुखाकर परिरक्षण करना
फल तथा सब्जीयों को सुखाकर हम काफी लंबे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं। फल तथा सब्जियों को सुखाने के लिए मुख्य रूप से दो प्रकार की विधियां उपयोग में लाई जाती है -
  1. प्राकृतिक रूप से सुखाना ( Natural drying )
  2. कृत्रिम रूप से सुखाना ( Artificial drying )

प्राकृतिक रूप से सुखाना ( Natural drying ) -

प्राकृतिक रूप से सुखाना ( Natural drying ) विधि में भी दो प्रकार की विधियों का प्रयोग किया जाता है -

  • धूप में सुखाना - इस विधि में विभिन्न आकार की लकड़ीयों की ट्रे होती है, जिसमें सब्जियों को रखकर धूप में सुखाया जाता है। यह विधि सब्जियों तथा फलों को सुखाने की एक अच्छी विधि है। क्योंकि इस विधि में मेहनत की जरूरत नहीं होती है।
  • गन्धक का धुआं देना - इस विधि में सब्जियों तथा फलों में गन्धक का धुआं दिया जाता है। गन्धक का धुआं देने से फल तथा सब्जियों में उपस्थित कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। इससे अपेक्षाकृत फल तथा सब्जियों को लम्बे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।


कृत्रिम रूप से सुखाना या निर्जलीकरण  ( Artificial drying or Dehydration ) -

इस विधि में ड्रायर अथवा डीहाइड्रेशन के द्वारा सब्जियों को जल्दी सुखाया जा सकता है। फलों को हाइड्रोजन की सहायता से जल्दी सुखाया जाता है। इस विधि में सब्जियों को 50° - 60° ताप पर ड्रायर में सुखाया जाता है। फल तथा सब्जियों को अच्छे से सुखाने के बाद इन्हें काफी लंबे समय तक आसानी से सुरक्षित रखा जाता है।

फलों को धूप में सुखाने एवं मशीन द्वारा सुखाने (निर्जलीकरण) में क्या अंतर है


धूप में फल और सब्जियों को सूखना -

फलों को धूप में सुखाने एवं मशीन द्वारा सुखाने (निर्जलीकरण) में अन्तर निम्नलिखित है -

  • धूप में सुखाने से फलों के रंग तथा गन्ध में थोड़ा सा अंतर आ जाता है।
  • फलो को धूप में सुखाने से इसमें स्वच्छता नहीं रहती है। कुछ गन्दगी तथा धूल फलों आदि में चिपक जाते हैं।
  • फलों को धूप में सुखाने के लिए अधिक स्थान की आवश्यकता होती है।
  • वर्षा ऋतु में धूप कम निकलती है। जिससे वर्षा ऋतु में धूप न मिलने के कारण फलों को सुखाना असंभव हो जाता है।
  • इस विधि द्वारा सुखाने में अधिक समय लगता है।
  • इस विधि द्वारा फलों को सुखाने में किसी भी प्रकार की मशीन की आवश्यकता नहीं होती है।
  • घरों में फलों को सुखाने के लिए यह विधि आसानी से अपनाई जा सकती है।
  • यदि फलों को हम अधिक मात्रा में सुखायें तो यह विधि काफी कीमती पड़ती है।


फल और सब्जियों को मशीन द्वारा सुखाना -

  • इस विधि द्वारा फलों को सुखाने पर सूखे फलों का रंग एवं स्वाद ताजे फलों की भांति ज्यों का त्यों रहता है।
  • इस विधि द्वारा फलों को सुखाने पर गन्दगी नहीं होती है। अतः फल स्वच्छ एवं स्वादिष्ट होते हैं।
  • इस विधि में फलों को सुखाने के लिए कम स्थान की आवश्यकता होती है।
  • इस विधि में वर्षा ऋतु में भी फलों को आसानी से सुखाया जा सकता है।
  • इस विधि द्वारा फलों को सुखाने में बहुत कम समय लगता है।
  • इस विधि में फलों को सुखाने के लिए मशीन (dehydrator) की आवश्यकता पड़ती है।
  • इस विधि में फलों को घरों आदि में आसानी से नहीं छुखाया जा सकता है।
  • इस विधि में फलों को यदि अधिक मात्रा में सुखायें तो यह विधि काफी सस्ती पड़ जाती है।

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